खेल खेल में
हिन्दी चिठ्ठा जगत में खेल खेल में चालू हुई ५ सवालों की बौछारें सारे चिठ्ठकारों को लिखने पर मजबूर कर रही है। इस का श्रेय जाता है अमित को, वे खुद तो फंसे ही, पूरे हिन्दी चिठ्ठा जगत को लपेट ले गये-- खैर जो हुआ सो अच्छा, कम से कम मेरे लिये तो बहुत अच्छा । बहुत दिनों से विभिन्न कारणो के चलते सिर्फ पढ रहा था, अब उन्मुक्त जी ने ५ सवालों की कडी मुझे दे दी है तो लिखना तो पडेगा ही तो ये रहे मेरे जवाब कुछ बदले हुए क्रम में ...
यदि भगवान आपको भारतवर्ष की एक बात बदल देने का वरदान दें, तो आप क्या बदलना चाहेंगे?
वैसे तो भगवान इतना बडा वरदान किसी को देंगे मुझे संदेह है और मान लिजीये भगवान ने निश्चय कर ही लिया है कि ऐसा वरदान किसी को देना है तो भी मुझे देंगे कि मै कुछ बदल सकूं, मै तो कल्पना भी नहीं कर सकता । शायद मेरा नंबर तो तभी आयेगा जब कोई अर्जुन भगवान के मंत्री मंडल में हो, और मुझे किसी ना किसी श्रेणी में समझते हों। खैर यदि भगवान ने वरदान दे ही दिया तो मैं रोकना चाहूंगा सामान्य जीवन में बढ रही अनुशासनहीनता को, यदि हम सब अनुशासित हो जायें और देश के कानून का सही तरीके पालन करें तो बहुत जल्द ही वापस भारत को एक अग्रणी राष्ट्र बना सकते है। एक छोटा सा उदाहरण यातायात के नियमों के पालन में अनुशासन का हो सकता है, हम में से कितने लोग है सुनसान बिना बत्ती वाले चौराहे पर जहां सिर्फ रुको-देखो-जाओ लिखा हो, रुकते हैं शायद बहुत कम । ना रुकने के कारण है हमारी अनुशासनहीनता , आप यह भी कह सकते हैं कि ना रुकने का कारण इस चिन्ह का ना दिखाई देना भी हो सकता है, क्योंकि उस पर किसी बाबा के शहर में पधारने का नोटिस चिपकाया गया हो और यातायात में रुकने से ज्यादा जरुरी उनके सत्संग के शिविर की जानकारी मिलना हो!
मैंने अपने अल्प प्रवास में यहां अमरीका में देखा है कि सामान्य नागरिक आम जीवन में अनुशासित है, कम से कम सरकारी कानूनों का तो पालन मुस्तैदी से करते हैं, काश हमारे देश में भी...
तो फिर यदि भगवान को वरदान देना ही हो तो हम सब को सदबुद्धी, सुसंस्कार आदि, आदि दें !
आप किस तरह के चिट्ठे पढ़ना पसन्द करते हैं?
मैं लगभग सभी तरह के चिठ्ठे पढता हूं, अतुकांत कविताओं के पन्नों को छोड कर । मुझे खासकर
उन्मुक्त , जो न कह सके , छायाचित्रकार, फुरसतिया, मेरा पन्ना, मंतव्य, जोगलिखी, उडन तश्तरी, रवि रतलामी और ईस्वामी पसंद है । हर एक को पसंद करने के कारण अलग-अलग हैं, वे क्या है ये फिर कभी।।।
आपकी अपनी सबसे प्रिय चिट्ठी कौन सी है?
मैनें कहने को चिठ्ठा लेखन का एक साल पूरा कर लिया लेकिन लिखा सिर्फ १५ बार, शायद वही अनुशासन की कमी जो ऊपर लिखी है, खैर मैनें लिखा कम तो क्या? पढा तो बहुत, शायद सारे लेख जो पिछले एक साल में नारद पर अवतरित हुऐ । मेरी लिखी हुई गिनी चुनी चिठ्ठीयों में से मुझे अमेरिकन देसी पसंद है।
आपकी सबसे प्रिय पुस्तक और पिक्चर कौन सी है?
गुस्ताखी माफ मैं किसी एक का नाम ना ले पाऊंगा । मुझे non-fiction किताबें ज्यादा पसंद है, कुछ पसंदीदा किताबें Freedom at Midnight , Men Are from Mars, Women Are from Venus ,Made in Japan, गोदान और रागदरबारी हैं। भारत में रहते वक्त मैं वागर्थ और हंस नियमित रूप से पढता था इन के कारण ही मेरी रुचि हिन्दी साहित्य की ओर बढी। फिल्मों में मुझे एक डाक्टर की मौत, पुष्पक और The Pursuit of Happyness मुझे पसंद है। The Pursuit of Happyness मैनें यहां पढने के बाद देखी, मुझे अंग्रेजी फिल्में कम पसंद आती थी लेकिन इसको देखने के बाद से मुझे अंग्रेजी फिल्मों को देखने का शौक लग गया है और शौक भी ऐसा की पिछले १ महीने में मैने Schindler's List , You've Got Mail , Amélie , Philadelphia देख डाली।
क्या हिन्दी चिट्ठेकारी ने आपके व्यक्तिव में कुछ परिवर्तन या निखार किया?
हिन्दी चिठ्ठा संसार ने मुझे लोगों की मानसिकता समझने का मौका दिया है। इस मित्र जगत में सभी हैं वैग्यानिक , कानूनविद , इंजीनियर, ग्रहणीया , अकाउटेंट, विधार्थी, कवि, लेखक, पत्रकार, व्यवसायी और फुरसतिये सबकी अलग विचारधारा, जीवन शैली और लेखन । यहां पर लिखने और पढने से मेरे विचार भी बदले हैं और आम जीवन में होने वाली घटनाओं का विश्लेषण करने का तरीका भी । उदाहरण के तौर पर मेरी लिखी ४= ५ वाली ईमेल और उसका इतना गंभीर मतलब! शायद मैं ऐसा कभी ना सोच पाता ।
रवि जी की तरह ही मैं भी इस खेल की कमजोर कडी हूं इसलिये किसी और को न फासूंगा।। जिन्हें जुड चुके या जोड दिये जायेंगे ।
उन्मुक्त जी क्या आपको सारे जवाब मिल गये?
4 टिप्पणियां:
अच्छा लगा आपकी पसंदगी और आपके बारे में कुछ जानकर. :)
मिल भी गये और पसन्द आये। आपको कुछ करीब से समझने का मौका भी मिला। Made in Japan मेरी भी प्रिय पुसतकों में है।
समीर जी,
धन्यवाद!!
उन्मुक्तजी,
धन्यवाद, जानकर खुशी हुई कि आप को जवाब पसंद आये!
आपके जवाब अच्छे लगे। एक डॉक्टर... और पुष्पक भी मुझे पसन्द है परन्तु मेरी पसन्द की सूची बनाने में सारा चिट्ठा फिल्मों के नाम से ही भर जाता।
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