ये कैसी रही
कद्दू महोत्सव के दौरान यहां लाइब्रेरी में बच्चों के लिये कई कार्यक्रम होते हैं, उसी में मेरी बिटिया ने एक कद्दू रंगा था, जिसे बालकनी में रख कर सुखाया जा रहा था । लेकिन कद्दू पर तो इनकी नजर लगी थी..
और भर पेट भोजन के बाद मेडम यहां शायद ये गा रही हैं
7 टिप्पणियां:
गिलहरी : हूं..., यमी बहुत दिनो बाद ऐसा रंगीन स्वादिष्ठ कद्दू खाने को मिला है.
वाह नितिन भाई
जितने चाव से गिलहरी खा रही है, उतने ही चाव से आपने फोटो भी उतारी है.लग तो काफी स्वादिष्ट रहा है. :)
खूब रही।
ये भी खूब रही ।
महादेवी वर्मा जी ने गिलहरी पर एक कहानी लिखी थी - "गिल्लू"। वही याद आ गयी। आपने ने भी बहुत ही धैर्य के साथ तस्वीरें ली हैं।
नितिन भाई बहुत दिनों से आये नहीं ब्लॉग पर . सब ठीक तो है.
ये रही वो रिपोर्ट, जो एनडीटीवी पर आज सुबह प्रसारित हुई
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