Thursday, August 14, 2008

बचेहा-ये-आसेमान (Children of Heaven)


ईरान के मजीद मजीदी की लिखी और निर्देशित भाई - बहन के रिश्ते पर आधारित ये १९९७ की फिल्म आस्कर पुरुस्कारों के लिये नामांकित की गई थी।
अली (आमिर फारुख हशमियां) अपनी बहन जहारा (बहारे सिद्दीकी) के एकमात्र जोडी फटे जूते सिलवा के लाते समय बाजार में खो देता है। मजदूर पिता और बीमार मां के हालात को ध्यान में रख कर और पिटाई होने डर से दोनों बच्चे ये बात मां-बाप को नहीं बताते हैं। अली और जहारा, अली के फटे हुए जूतों को बारी-बारी से पहन कर स्कूल जाते हैं लेकिन अली पूरे समय जूते खो देने के दुख में इस प्रयास में है कि बहन के लिये जूते कैसे लाये जायें।
बच्चों की भावनाओं, ईरान के सामाजिक वातावरण और भाई-बहन के प्यार को बहुत ही सुन्दर तरीके मजीदी ने फिल्मांकित किया है। फिल्म के अंत में अली का जूतों के लिये दौड में भाग लेना और उसे जीतने (?) का प्रयास बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर देता है।

Saturday, August 09, 2008

दुविधा










बोस्टन के बच्चों के संग्रहालय के बाहर का दृश्य, क्या ऐसा नहीं लगता कि ये जनाब इस दुविधा में हैं कि इस कांक्रीट के जंगल में उडूं या नहीं?

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