वाह रे मिडीया!!
मुंबई धमाकों की खबरें तो मैनें यहां अमेरिका में जाल पर ही देखी-पढ़ी लेकिन सौभिक चक्रबर्ती के इस लेख ने बता दिया कि भारतीय टीवी चैनलों ने कितनी फालतू बडबड की होगी!
मानसिक हलचल को कतारबध्द करने का प्रयास
मुंबई धमाकों की खबरें तो मैनें यहां अमेरिका में जाल पर ही देखी-पढ़ी लेकिन सौभिक चक्रबर्ती के इस लेख ने बता दिया कि भारतीय टीवी चैनलों ने कितनी फालतू बडबड की होगी!
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2 टिप्पणियां:
मैं ने वो लेख पढा, और मीडिया वालों की दुकान कैसे चलती?
मज़े की बात यह है कि मीडिया की बुराई करने के लिए आपको भी मीडिया का ही सहारा लेना पड़ता है. खुद टीवी देखकर कुछ लिखा होता तो मज़ा भी आता. वैसे मीडिया को गाली देना फ़ैशन है. कुछ अरसे पहले तक यह सौभाग्य सिर्फ़ नेताओं को हासिल था.
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