Saturday, October 25, 2008

परछाई




नियाग्रा नदी में अकेले उडान भरते हुये पक्षी की परछाई



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Thursday, October 23, 2008

कद्दू

अमेरिका में हैलोवीन की तैयारी चल रही है, लोग अपने घरों, बगीचों और खेतों को कद्दूओं से भूत निवास जैसा सजा रहे हैं और खुद त्यौहार के दिन डरावनी पोशाकों में सजते हैं। मेरे गांव की नर्सरी के आस-पास कद्दूओं की बडी-बडी दुकानें देखने लायक होती है, लोग इस त्यौहार पर कद्दूओं से बनाये गये कई पकवान खाते हैं, हाल ही में एक मेले में जाने का संयोग बना, उस मेले में आस-पास के किसानों ने अपने विशालकाय कद्दूओं का प्रदर्शन किया, इस १२८४ पौंड के कद्दू को प्रथम स्थान मिला
९७२ पौंड के वजन के साथ ये रहा दूसरा
६४१ पौंड के साथ ये रहा तीसरा

अंग्रेजी में कहावत है You are what you eat , अब यदि अमेरिकी ये साइज के फल और सब्जी खा रहे हैं तो फिर क्यों मोटापे में विश्व में अग्रणी ना हों :)

बोस्टन - घोडागाडी और इंडिया स्ट्रीट


बोस्टन यात्रा के दौरान एक सजी हुई घोडागाडी देखने को मिली, ये तांगे वाला बडी बेसब्री से ग्राहकों का इंतजार कर रहा है।





गाडी को भी लाइसेंस दिया गया है ये रही उसकी तस्वीर
मेरा ऐसा सोचना है कि अपने देश में आटो रिक्शा वालों के कारण तांगे वालों की हालत बहुत खराब हो गई होगी और शायद कुछ सालों में तांगे विलुप्त हो जायेंगे।

और चलते-चलते, काश पाटिल साहब आंतकवादियों को ये रास्ता दिखा देते -
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Sunday, October 19, 2008

बोस्टन यात्रा

द्वितीय विश्व युद्ध के समय सहयोगी सेनाओं के सामने एक कठिन समस्या थी कि सैनिकों और युद्ध सामग्री को उन सभी स्थानों पर कैसे पहुंचाया जाये जहाँ या तो बंदरगाह नहीं है या फिर बरबाद कर दिये गये हैं? आवश्यकता की पूर्ति के लिये एक ऐसे वाहन का निर्माण किया गया जो कि ट्रक भी था और नाव भी - और इसे नाम दिया गया DUKW (DUCK) या बतख!
कई शहरों में इन बतखों का प्रयोग अब पर्यटक वाहन के रुप में किया जाता है। बोस्टन शहर की एक बतख

(चित्र विकीपिडिया से साभार)

इस बतख यात्रा के दौरान खींची कुछ तस्वीरें -

दूध की बोतल

और चाय की केतली


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खिड़कियाँ

यह पोस्ट सुनील दीपक जी की इस पोस्ट से प्रेरणा ले कर छापी गई है, छायाचित्रकारी में सुनील जी अद्वितीय हैं!





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